नरसिंहपुर

कलेक्टर ने समूह की महिलाओं से की चर्चा

स्वसहायता समूह से जुड़ने के बाद जीवन में आया बदलाव

“खुशियों की दास्तां”

नरसिंहपुर/नरसिंहपुर केसरी- मध्यप्रदेश दीनदयाल अंत्योदय योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत संचालित स्वसहायता समूह की महिलायें समूह से जुड़कर न केवल सामाजिक रूप से सशक्त हुई हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। महिलायें अब छोटी- छोटी बचत कर और शासन की मदद से अपने परिवार को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दे रही हैं। कुछ ऐसी ही कहानी जिले के चीचली विकासखंड के ग्राम ऊकरी के विभिन्न स्वसहायता समूहों की महिला सदस्यों की है।

      आजीविका मिशन द्वारा ग्रामीण महिलाओं के 11 समूहों को दूध से खोवा बनाने की गतिविधि में संगठित किया गया है। इसमें गायत्री, जय बजरंग, नर्मदा, सितारा, कार्तिक, विद्या, आरूषि, आस्था एवं मधु स्वसहायता समूह शामिल हैं। इन्हें खोवा निर्माण की गतिविधि को बढ़ावा देने पशु पालन के लिए शासन से चक्रीय ऋण, आजीविका ऋण एवं बैंक ऋण प्रदान किया गया। समूहों को गाय, भैंस एवं बकरी खरीदने के लिए रिवाल्विंग फंड से एक लाख 15 हजार रुपये, सीआईएफ से 5 लाख 60 हजार रुपये और बैंक लिंकेज से 14 लाख रुपये दिये गये हैं।

      महिलाओं ने बताया कि पशु पालन से प्राप्त दूध से वे खोवा निर्माण करते हैं, उनके द्वारा प्रतिदिन लगभग 80 किग्रा खोवा बनाया जाता है। एक किग्रा खोवा की कीमत करीब 250 रुपये है, जिसे वे गांव में ही बेच देते हैं। इससे समूहों को प्रतिमाह 20 हजार रुपये की आमदनी होती है। इससे 11 समूहों में शामिल महिलाओं के 121 परिवार लाभांवित हो रहे हैं। इसके अलावा समूहों द्वारा गणवेश सिलाई, मध्यान्ह भोजन, नलजल योजना में टैक्स वसूली आदि का कार्य भी किया जा रहा है।

      कलेक्टर ऋजु बाफना ने चीचली भ्रमण के दौरान स्वसहायता समूहों के कार्यों को देखा और समूह की महिलाओं से चर्चा की। उन्होंने महिलाओं का उत्साहवर्धन किया। महिलाओं ने बताया कि ब्लॉक मैनेजर एनआरएलएम श्री नीतेश बसेड़िया द्वारा उन्हें स्वसहायता समूह बनाने के लिए प्रेरित किया गया था,‍ जिससे वे स्वयं को सशक्त कर सकी। स्वसहायता समूह के सफल संचालन के बाद समूह की महिलाओं के जीवन में बहुत बदलाव आ गया है। अब वे सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं।

      इसके लिए स्वसहायता समूह की महिलायें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश सरकार व ग्रामीण आजीविका मिशन को धन्यवाद देती हैं।

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