कृषि वैज्ञानिकों द्वारा फसलों में रोग कीट नियंत्रण हेतु सर्वेक्षण
नरसिंहपुर- विगत दिनों कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. केव्ही सहारे, के मार्गदर्शन में डॉ. एसआर शर्मा पौध सरक्षंण वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र नरसिंहपुर, डॉ. आरएन पटैल सहायक संचालक कृषि एवं डॉ. एपी भण्डारकर कीट वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र सिवनी द्वारा विकासखण्ड नरसिंहपुर के ग्राम रानीपिपारिया, मगरधा, कठौतिया, विकासखण्ड करेली के ग्राम करेली, विकासखण्ड चीचली के ग्राम बटेसरा, बंदेसुर एवं विकासखण्ड साईखेडा के गावं कमती उल्थन, वरांझ, पनारी, कौंडिया, चिरहकलां, पलोहा का भ्रमण किया गया। मुआयने के दौरान रोग एवं कीट हेतु धान एवं अरहर फसल में कीट एवं व्याधी पाई गयी। सभी विकासखण्डों में धान के प्रजातियों में आभासी कंडवा 10-15प्रतिशत व सैनिक कीट 1-2 प्रतिशत का प्रकोप पाया गया। अरहर में फली छेदक कीट का प्रकोप 2- 3 प्रतिशत पाया गया। किसान भाईयों को आभासी कंडवा नियत्रंण हेतु प्रोपीकोनोजोल 200 मिली प्रति एकड़ 200 ली. पानी के साथ व सैनिक कीट नियत्रंण हेतु डाइमेथोएट 175-200 मिली या प्रोफेनोफास 300 मिली प्रति एकड़ के प्रयोग का सुझाव दिया गया। अरहर में फली छेदक कीट नियत्रंण हेतु इमामेक्टीन बेन्जोएट 80 ग्राम प्रति एकड या क्लोरेन्टा नीलीप्रोन 60-80 ग्राम प्रति एकड 200-250 ली. पानी के साथ छिड़काव हेतु सुझाव दिया गया। साथ ही किसानों से यह आग्रह किया जाता है कि अगले वर्ष जब धान की बुवाई करें तो नया बीज ले क्योकि आभासी कंडवा अगले वर्ष और भी अधिक आ सकता है इसके लिये किसान भाई बीज जरूर बदलें। अपने खेत में इस वर्ष बोई हुई धान को बीज के रूप में आगामी वर्ष में उपयोग न करें एवं वुवाई पूर्व प्रोपीकोनोजोल 1 मिली प्रति किग्रा बीज की दर से बीज उपचार करें।